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|रचनाकार=कुमार विश्वास
|संग्रह= कोई दीवाना कहता है / कुमार विश्वास
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<poem>
तुम अगर नहीं आई गीत गा न पाऊँगा
साँस साथ छोडेगी, सुर सजा न पाऊँगा
तान भावना की है शब्द-शब्द दर्पण है
बाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है
रचनाकार: [[कुमार विश्वास]]तुम बिना हथेली की हर लकीर प्यासी हैतीर पार कान्हा से दूर राधिका-सी हैरात की उदासी को याद संग खेला है कुछ गलत ना कर बैठें मन बहुत अकेला हैऔषधि चली आओ चोट का निमंत्रण हैबाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है
[[Category:कविताएँ]]तुम अलग हुई मुझसे साँस की ख़ताओं सेभूख की दलीलों से वक्त की सज़ाओं से[[Category:कुमार विश्वास]]दूरियों को मालूम है दर्द कैसे सहना हैआँख लाख चाहे पर होंठ से न कहना हैकंचना कसौटी को खोट का निमंत्रण हैबाँसुरी चली आओ, होंठ का निमंत्रण है~*~*~*~*~*~*~*~~*~*~*~*~*~*~*~</poem>'''कोई दीवाना कहता है (२००७) में प्रकाशित'''