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"मोती मूँगे उतार बनमाला पोई / मीराबाई" के अवतरणों में अंतर

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अंसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।
 
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अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥
 
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दूध की मथनिया बडे प्रेम से बिलोई।
 
दूध की मथनिया बडे प्रेम से बिलोई।
 
 
माखन जब काढि लियो छाछ पिये कोई॥
 
माखन जब काढि लियो छाछ पिये कोई॥
 
 
भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई।
 
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दासी 'मीरा लाल गिरिधर तारो अब मोही॥
 
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11:47, 18 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

मोती मूँगे उतार बनमाला पोई॥
अंसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई।
अब तो बेल फैल गई आणँद फल होई॥
दूध की मथनिया बडे प्रेम से बिलोई।
माखन जब काढि लियो छाछ पिये कोई॥
भगत देखि राजी हुई जगत देखि रोई।
दासी 'मीरा लाल गिरिधर तारो अब मोही॥