भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हँस के हर एक गम को मैं सहता रहा तेरे बगैर / अबू आरिफ़" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अबू आरिफ़ }} {{KKCatGhazal}} <poem> हँस के हर एक ग...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
<poem>
 
<poem>
 
हँस के हर एक गम को मैं सहता रहा तेरे बगैर
 
हँस के हर एक गम को मैं सहता रहा तेरे बगैर
रात भर तनहाई में जलता रहा त्तेरे बगैर
+
रात भर तनहाई में जलता रहा तेरे बगैर
  
फूल सा बिस्तर मुझे चुभता है काटों की तरह
+
फूल सा बिस्तर मुझे चुभता है काँटों की तरह
 
चाँदनी से ये बदन जलता रहा तेरे बगैर
 
चाँदनी से ये बदन जलता रहा तेरे बगैर
  
पंक्ति 18: पंक्ति 18:
  
 
ये मेरी तनहाइयाँ डसती है नागिन की तरह
 
ये मेरी तनहाइयाँ डसती है नागिन की तरह
आरिफ ये गम-ए-दिल है सुलगता रहा तेरे बगैर
+
आरिफ़ ये गम-ए-दिल है सुलगता रहा तेरे बगैर
 
</poem>
 
</poem>

15:49, 27 जुलाई 2013 के समय का अवतरण

हँस के हर एक गम को मैं सहता रहा तेरे बगैर
रात भर तनहाई में जलता रहा तेरे बगैर

फूल सा बिस्तर मुझे चुभता है काँटों की तरह
चाँदनी से ये बदन जलता रहा तेरे बगैर

मयकदे मे अब नहीं है कैफ व मस्ती व सुरूर
हाथ में सागर लिए फिरता रहा तेरे बगैर

उफ ये नशा-ए-हिज्र ये सरगोशी-ए-बाद-ए-सबा
रातभर मैं करवटे लेता रहा तेरे बगैर

ये मेरी तनहाइयाँ डसती है नागिन की तरह
आरिफ़ ये गम-ए-दिल है सुलगता रहा तेरे बगैर