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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>है आबिदों <ref>श्रद्धालु</ref> को त'अतत‘अत-ओ-तजरीद <ref>श्रद्धा</ref> की ख़ुशीऔर ज़ाहिदों <ref>पूजा करने वाला</ref> को ज़ुहद जुहाद<ref>धर्म की बात</ref> की तमहीद <ref>शुरुआत</ref> की ख़ुशी[आबिद=श्रद्धालु; त'अत=श्रद्धा] रिन्द आशिकों को है कई उम्मीद की ख़ुशी[ज़ाहिद=पूजा करने वाला; ज़ुहद कुछ दिलबरों के वल की तमहीद=धर्म कुछ दीद की बात की शुरुआत]ख़ुशी
रिंद आशिक़ों को है कई उम्मीद की ख़ुशीकुछ दिलबरों के वल की कुछ दीद की ख़ुशी  ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद बक़रीद की ख़ुशीजैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
पिछले पहर से उठ के नहाने की धूम है
शीर-ओ-शकर सिवईयाँ पकाने की धूम है
 पीर<ref>पुराना</ref>-ओ-जवान को नेम'तें नेम‘तें<ref>ईनाम/दया</ref> खाने की धूम हैलड़को लड़कों को ईद-गाह के जाने की धूम है [पीर=पुराना; नेम'त=इनाम/दया] ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद बक़रीद की ख़ुशीजैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
कोई तो मस्त फिरता है जाम-ए-शराब से
कोई पुकरता पुकारता है के कि छूटे अज़ाब <ref>यातना</ref> से  कल्ला <ref>गाल</ref> किसी का फूला है लड्डू की चाब से चटकारें जी में भरते हैं नान-ओ-कबाब से [अज़ाब=यातना; कल्ला= गाल]  ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी  क्या हि मुआन्क़े की मची है उलट पलट मिलते हैं दौड़ दौड़ के बाहम झपट झपट  फिरते हैं दिल-बरों के भी गलियों में ग़त के ग़त आशिक़ मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट  [मुआनिक़=आलिंगन; ग़ट=भीड़]  ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी  काजल हिना ग़ज़ब मसी-ओ-पान की धड़ी पिशवाज़ें सुर्ख़ सौसनी लाही की फुल-झड़ी  कुर्ती कभी दिखा कभी अन्गिया कसी कड़ी कह "ईद ईद" लूटेन हैं दिल को घ.दी घड़ी  [पिश्वाज़= कुरती]  ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद की ख़ुशी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
रोज़े ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गाल ख़ुशीख़ुश हो गये वो देखते ही जैसी हर एक दिल में है इस ईद का हिलाल की ख़ुशी
पोशाकें तन में ज़र्द, सुनहरी सफ़ेद लाल क्या है मुआन्क़े<ref>आलिंगन</ref> की मची है उलट पलटमिलते हैं दौड़ दौड़ के बाहम झपट झपटफिरते हैं दिल क्या -बरों के हँस रहा है पड़ा तन का बाल बाल भी गलियों में गट के गट<ref>भीड़</ref>आशिक मज़े उड़ाते हैं हर दम लिपट लिपट
[हिलाल= ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशीजैसी हर एक दिल में है इस ईद का चांद; पोशाक=कपड़े] की ख़ुशी
ऐसी न शबकाजल हिना ग़ज़ब मसी--बरात न बक़्रीद पान की ख़ुशी धड़ीजैसी हर एक दिल में है इस ईद पिशवाज़ें<ref>कुरती</ref> सुर्ख़ सौसनी लाही की ख़ुशी फुलझड़ीकुर्ती कभी दिखा कभी अंगिया कसी कड़ीकह “ईद ईद” लूटें हैं दिल को घड़ी घड़ी
जो जो के उन के हुस्न ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की रखते हैं दिल से चाह ख़ुशीजाते हैं उन के साथ ता बा-जैसी हर एक दिल में है इस ईद-गाह की ख़ुशी
तोपों के शोर और दोगानों रोज़े की रस्म-ओ-राह ख़ुश्कियों से जो हैं ज़र्द ज़र्द गालमयानेख़ुश हो गये वो देखते ही ईद का हिलाल<ref>ईद का चांद</ref>पोशाकें तन में ज़र्द, खिलोने, सैर, मज़े, ऐश, वाह-वाह सुनहरी सफेद लालदिल क्या कि हँस रहा है पड़ा तन का बाल बाल
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद बक़रीद की ख़ुशी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़्रीद जो जो कि उन के हुस्न की ख़ुशी जैसी हर एक रखते हैं दिल में है इस से चाहजाते हैं उन के साथ ता बा-ईद -गाहतोपों के शोर और दोगानों की ख़ुशी रस्म-ओ-राहमयाने, खिलोने, सैर, मज़े, ऐश, वाह-वाह
रोज़ों की सख़्तियों में ऐसी होते अगर अमीर शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशीतो ऐसी जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी होती दिल-पज़ीर
रोज़ों की सख़्तियों में न होते अगर अमीरतो ऐसी ईद की न ख़ुशी होती दिल-पज़ीरसब शाद हैं गदा से लगा शाह ता वज़ीर देखा जो हम ने ख़ूब तो सच है मियाँ "नज़ीर"मियां ‘नज़ीर‘
ऐसी न शब-ए-बरात न बक़रीद की ख़ुशी
जैसी हर एक दिल में है इस ईद की ख़ुशी
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