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"सबके दिल में ग़म होता है / इरशाद खान सिकंदर" के अवतरणों में अंतर
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15:14, 15 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
सबके दिल में ग़म होता है
सिर्फ़ ज़ियादा कम होता है
चोट लगे तो रोकर देखो
आंसू भी मरहम होता है
ख़त लिखता हूँ जब जब उसको
तब तब काग़ज़ नम होता है
ख़ामोशी के अंदर देखो
शोर सा इक हरदम होता है
गहराई से सोच के देखो
शोला भी शबनम होता है