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"वर्जित फल / धीरेन्द्र अस्थाना" के अवतरणों में अंतर

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वर्जित फल!
 
वर्जित फल!

20:30, 24 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

इश्क
जिसे कहते हैं
होता है रूहानी;
पर
जिस्मों के
मिलन से ही,
हो पाता है
पूर्ण और यथार्थ!!

जिस्म में
सुलगती रूहों
के लिए क्यों
होता है जरूरी
जिस्मों का मिलन;

फिर भी कहते
नापाक होता है
जिस्मानी इश्क!
जबकि
कायनात की
है सबसे अपरिहार्य
जरूरत!!

होता गर
रूहानी इश्क
मुत्मईन रूहों के
मिलन का पर्याय;
तो क्यों छोड़नी
पड़ती जन्नत
खाने पर
वर्जित फल!
और क्यों होता
आगाज इस
कायनात का!