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"अंधेरों के दरख़्त / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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18:18, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

परछाइयों के बीज़
कुछ इस तरह बिख़र गए
पिछवाड़े

कि खड़े हो गए रातो-रात
अंधेरों के दरख़्त
फूल खिले फिर फल
टपक पड़े बीज़ फट

दरख़्तों से उगे पहाड़
पहाड़ों से परछाइयाँ
पौ फटनी थी कि
छा गया अंधेरा पूरी तरह।