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"तमाम आतंकों के खिलाफ़ / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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एक लाल सद्यजात आसमान
 
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उनकी चोंच में दबा है
 
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वे कोशिश कर रहे हैं
 
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उसे टिका दें क्षितिज में
 
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वे फड़फड़ाते हैं, उड़ते हैं
 
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फिर टपक पड़ते हैं
 
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लड़खड़ाते हुए आसमान के साथ
 
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उन्हें याद भी नहीं कि वे कभी सफ़ेद थे
 
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एकदम झक बर्फ़ के टुकड़े से
 
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इस वक़्त वे अपने काले हुए परों को
 
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गिरने से बचाते हुए
 
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कोशिश कर रहे हैं कि
 
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एक आसमान टिक जाए छत-सा
 
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इस दुनिया के सिरे
 
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तमाम आतंकों के खिलाफ़।
 
तमाम आतंकों के खिलाफ़।
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18:25, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

एक लाल सद्यजात आसमान
उनकी चोंच में दबा है
वे कोशिश कर रहे हैं
उसे टिका दें क्षितिज में
वे फड़फड़ाते हैं, उड़ते हैं
फिर टपक पड़ते हैं
लड़खड़ाते हुए आसमान के साथ

उन्हें याद भी नहीं कि वे कभी सफ़ेद थे
एकदम झक बर्फ़ के टुकड़े से
इस वक़्त वे अपने काले हुए परों को
गिरने से बचाते हुए
कोशिश कर रहे हैं कि
एक आसमान टिक जाए छत-सा
इस दुनिया के सिरे
तमाम आतंकों के खिलाफ़।