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"प्लास्टिकी वक़्त में / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर

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आज मैंने समेट लिए
 
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वे तमाम पाए अनपाए खिलौने
 
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और उन्हें बनाती कल्पनाएँ
 
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कल्पनाओं से निकले बीज
 
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बीज़ से अनफूटे कल्ले
 
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यों भी
 
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इस प्लास्टिकी वक़्त में
 
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जगह भी कहाँ बची है
 
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अवधूत से खिलंदड़ीपन के लिए
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18:29, 29 अगस्त 2013 के समय का अवतरण

आज मैंने समेट लिए
वे तमाम पाए अनपाए खिलौने
और उन्हें बनाती कल्पनाएँ
कल्पनाओं से निकले बीज
बीज़ से अनफूटे कल्ले
यों भी
इस प्लास्टिकी वक़्त में
जगह भी कहाँ बची है
अवधूत से खिलंदड़ीपन के लिए