भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सानेट: अहिंसा / मोती बी.ए." के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhojpuriRachna}} <poem> अह...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=मोती बी.ए. |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
|संग्रह= | |संग्रह= |
14:10, 31 अगस्त 2013 के समय का अवतरण
अहिंसक बाघ जो होखे बड़ाई सब करी ओकर
अहिंसा के महातन के सुनी बकरी के मुँहें से
पुजाली देस में दुर्गा सवारी बाघ ह जेकर
नहालें व्यालमाली नित्य गंगाजल से दूबी से
समूचा देस होके एक बोले एक सुर से जो
खड़ा हो तानि के सीना चढ़ा के भौंह जो तिरछा
पहाड़ी काँपि जाई आदमी के बात के कहो
सुटुकि जाई सजी अणु बम तनिक जे बोलि दे कड़खा
चिरउरी हो रहल बाटे घिनावन हो गइल बाटे
अहिंसा वीर के भूषण बपउती ह सनातन से
अबे सझुरा रहल जे-जे उहे अझुरा रहल बाटे
वफादारी में गद्दारी समाइल बा सिंहासन से
कुरुसिया एक, एक्के पर लदाई सब, त का होई
ई कुरुसी टूटि जा गइल, त का इतिहास ना रोई?