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"मुक्तक / कुमार विश्वास" के अवतरणों में अंतर

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1.बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेडे सह नही पाया
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मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
 
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
 
 
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
 
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
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एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन||1|| 
  
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन
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जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है,
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जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
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झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
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तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है||2||
  
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जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
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जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
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बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है||3||
  
3.तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
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बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेड़े सह नहीं पाया
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हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया
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रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा
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कभी तुम सुन नहीं पायी कभी मैं कह नहीं पाया||4||
  
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तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
 
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
 
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तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
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तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ||5||
  
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पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
 
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मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश में है
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हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या||6||
  
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समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
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ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
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मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
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जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता||7||
  
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या
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पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू  समझता है,
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अँधेरा किसको को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है,
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हमें तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दिखता है,
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मोहब्बत में नुमाइश को अदाएं तू समझता है||8||
  
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गिरेबां चाक करना क्या है,  सीना और मुश्किल है,
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हर एक पल मुस्काराकर अश्क पीना और मुश्किल है
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हमारी बदनसीबी ने हमें इतना सिखाया है,
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किसी के इश्क में मरने से जीना और मुश्किल है||9||
  
5.समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नही सकता
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मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें  बतला रहा हूँ मैं         
 
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कोई लब छू गया था तब अभी तक गा रहा हूँ मैं
ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नही सकता
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फिराके यार में कैसे जिया जाये बिना तड़पे         
 
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जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं||10||
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
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जो मेरा हो नही पाया वो तेरा हो नही सकता
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किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है 
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लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है
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ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है 
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तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है||11||
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11:53, 1 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

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बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तन चंदन
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन||1||

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल एक ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है||2||

जो धरती से अम्बर जोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े, उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो,जाती है हर उमर मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े, उसका नाम मोहब्बत है||3||

बहुत टूटा बहुत बिखरा थपेड़े सह नहीं पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया
रहा है अनसुना और अनकहा ही प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नहीं पायी कभी मैं कह नहीं पाया||4||

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ
तुम्हे मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ||5||

पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार करना क्या
जो दिल हारा हुआ हो उस पर फिर अधिकार करना क्या
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कश्मकश में है
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार करना क्या||6||

समन्दर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आँसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता||7||

पुकारे आँख में चढ़कर तो खू को खू समझता है,
अँधेरा किसको को कहते हैं ये बस जुगनू समझता है,
हमें तो चाँद तारों में भी तेरा रूप दिखता है,
मोहब्बत में नुमाइश को अदाएं तू समझता है||8||

गिरेबां चाक करना क्या है, सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्काराकर अश्क पीना और मुश्किल है
हमारी बदनसीबी ने हमें इतना सिखाया है,
किसी के इश्क में मरने से जीना और मुश्किल है||9||

मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हें बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब अभी तक गा रहा हूँ मैं
फिराके यार में कैसे जिया जाये बिना तड़पे
जो मैं खुद ही नहीं समझा वही समझा रहा हूँ मैं||10||

किसी पत्थर में मूरत है कोई पत्थर की मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी ख़ूबसूरत है
ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है
तुम्हें मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है||11||