भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ये मिसरा नहीं है / ख़ुमार बाराबंकवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ख़ुमार बाराबंकवी |संग्रह= }}{{KKVID|v=Ky9-ultyrMg}} {{KKCatGhazal}} <poem> ये…) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=ख़ुमार बाराबंकवी | |रचनाकार=ख़ुमार बाराबंकवी | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
− | }}{{KKVID|v= | + | }}{{KKVID|v=l5GOXWMcKtM}} |
{{KKCatGhazal}} | {{KKCatGhazal}} | ||
<poem> | <poem> |
12:35, 1 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
ये मिसरा नहीं है वज़ीफा मेरा है
खुदा है मुहब्बत, मुहब्बत खुदा है
कहूँ किस तरह में कि वो बेवफा है
मुझे उसकी मजबूरियों का पता है
हवा को बहुत सरकशी का नशा है
मगर ये न भूले दिया भी दिया है
मैं उससे ज़िदा हूँ, वो मुझ से ज़ुदा है
मुहब्बत के मारो का बज़्ल-ए-खुदा है
नज़र में है जलते मकानो मंज़र
चमकते है जुगनू तो दिल काँपता है
उन्हे भूलना या उन्हे याद करना
वो बिछड़े है जब से यही मशगला है
गुज़रता है हर शक्स चेहरा छुपाए
कोई राह में आईना रख गया है
कहाँ तू "खुमार" और कहाँ कुफ्र-ए-तौबा
तुझे पारशाओ ने बहका दिया है