भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हुस्न जब मेहरबाँ हो तो क्या कीजिए / ख़ुमार बाराबंकवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=ख़ुमार बाराबंकवी | |रचनाकार=ख़ुमार बाराबंकवी | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
− | }}{{KKVID|v= | + | }}{{KKVID|v=U6K8MYm9B50}} |
{{KKCatGhazal}} | {{KKCatGhazal}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
हुस्न जब मेहरबाँ हो तो क्या कीजिए | हुस्न जब मेहरबाँ हो तो क्या कीजिए | ||
इश्क़ की मग़फ़िरत<ref>माफ़ी</ref> की दुआ कीजिए | इश्क़ की मग़फ़िरत<ref>माफ़ी</ref> की दुआ कीजिए | ||
पंक्ति 24: | पंक्ति 23: | ||
अक्ल-ओ-दिल अपनी अपनी कहें जब 'खुमार' | अक्ल-ओ-दिल अपनी अपनी कहें जब 'खुमार' | ||
अक्ल की सुनिए, दिल का कहा कीजिये | अक्ल की सुनिए, दिल का कहा कीजिये | ||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> | ||
{{KKMeaning}} | {{KKMeaning}} |
13:16, 1 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें
हुस्न जब मेहरबाँ हो तो क्या कीजिए
इश्क़ की मग़फ़िरत<ref>माफ़ी</ref> की दुआ कीजिए
इस सलीक़े से उनसे गिला कीजिए
जब गिला कीजिए, हँस दिया कीजिए
दूसरों पर अगर तबसिरा<ref>टीका-टिप्पणी</ref> कीजिए
सामने आईना रख लिया कीजिए
आप सुख से हैं तर्के-तआल्लुक़<ref>संबंध-विच्छेद</ref> के बाद
इतनी जल्दी न ये फ़ैसला कीजिए
कोई धोखा न खा जाए मेरी तरह
ऐसे खुल के न सबसे मिला कीजिए
अक्ल-ओ-दिल अपनी अपनी कहें जब 'खुमार'
अक्ल की सुनिए, दिल का कहा कीजिये
शब्दार्थ
<references/>