भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"उत्तर नहीं हूँ / धर्मवीर भारती" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=धर्मवीर भारती
 
|रचनाकार=धर्मवीर भारती
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
उत्तर नहीं हूँ  
 
उत्तर नहीं हूँ  
 
+
मैं प्रश्न हूँ तुम्हारा ही!  
मैं प्रश्न हूँ तुम्हारा ही !  
+
 
+
+
  
 
नये-नये शब्दों में तुमने  
 
नये-नये शब्दों में तुमने  
 
 
जो पूछा है बार-बार  
 
जो पूछा है बार-बार  
 
 
पर जिस पर सब के सब केवल निरुत्तर हैं  
 
पर जिस पर सब के सब केवल निरुत्तर हैं  
 
+
प्रश्न हूँ तुम्हारा ही!  
प्रश्न हूँ तुम्हारा ही !  
+
 
+
+
  
 
तुमने गढ़ा है मुझे  
 
तुमने गढ़ा है मुझे  
 
 
किन्तु प्रतिमा की तरह स्थापित नहीं किया  
 
किन्तु प्रतिमा की तरह स्थापित नहीं किया  
 
 
या  
 
या  
 
 
फूल की तरह  
 
फूल की तरह  
 
 
मुझको बहा नहीं दिया  
 
मुझको बहा नहीं दिया  
 
 
प्रश्न की तरह मुझको रह-रह दोहराया है  
 
प्रश्न की तरह मुझको रह-रह दोहराया है  
 
 
नयी-नयी स्थितियों में मुझको तराशा है  
 
नयी-नयी स्थितियों में मुझको तराशा है  
 
 
सहज बनाया है  
 
सहज बनाया है  
 
 
गहरा बनाया है  
 
गहरा बनाया है  
 
 
प्रश्न की तरह मुझको  
 
प्रश्न की तरह मुझको  
 
 
अर्पित कर डाला है  
 
अर्पित कर डाला है  
 
 
सबके प्रति  
 
सबके प्रति  
 
 
दान हूँ तुम्हारा मैं  
 
दान हूँ तुम्हारा मैं  
 
 
जिसको तुमने अपनी अंजलि में बाँधा नहीं  
 
जिसको तुमने अपनी अंजलि में बाँधा नहीं  
 
+
दे डाला!  
दे डाला !  
+
 
+
 
उत्तर नहीं हूँ मैं  
 
उत्तर नहीं हूँ मैं  
 
+
प्रश्न हूँ तुम्हारा ही!
प्रश्न हूँ तुम्हारा ही !
+
</poem>

10:07, 4 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

उत्तर नहीं हूँ
मैं प्रश्न हूँ तुम्हारा ही!

नये-नये शब्दों में तुमने
जो पूछा है बार-बार
पर जिस पर सब के सब केवल निरुत्तर हैं
प्रश्न हूँ तुम्हारा ही!

तुमने गढ़ा है मुझे
किन्तु प्रतिमा की तरह स्थापित नहीं किया
या
फूल की तरह
मुझको बहा नहीं दिया
प्रश्न की तरह मुझको रह-रह दोहराया है
नयी-नयी स्थितियों में मुझको तराशा है
सहज बनाया है
गहरा बनाया है
प्रश्न की तरह मुझको
अर्पित कर डाला है
सबके प्रति
दान हूँ तुम्हारा मैं
जिसको तुमने अपनी अंजलि में बाँधा नहीं
दे डाला!
उत्तर नहीं हूँ मैं
प्रश्न हूँ तुम्हारा ही!