"कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर
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बने रहो प्रिय आज्ञाकारी |<br> | बने रहो प्रिय आज्ञाकारी |<br> | ||
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माता पिता से काट कनेक्शन,<br> | माता पिता से काट कनेक्शन,<br> | ||
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कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |<br> | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |<br> | ||
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शीघ्र निकालो ऐसी सूरत |<br> | शीघ्र निकालो ऐसी सूरत |<br> | ||
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यह भी कला बहुत मामूली |<br> | यह भी कला बहुत मामूली |<br> | ||
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उन शब्दों का जाल बिछा कर,<br> | उन शब्दों का जाल बिछा कर,<br> | ||
चाहो जैसी कविता बुन लो |<br> | चाहो जैसी कविता बुन लो |<br> | ||
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वह तो तुकबंदी है भाई |<br> | वह तो तुकबंदी है भाई |<br> | ||
जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,<br> | जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,<br> | ||
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− | + | ताजमहल पर जा सकते हो |<br> | |
− | शरद - पूर्णिमा दिखलाने को,<br> | + | शरद-पूर्णिमा दिखलाने को,<br> |
'उन्हें' साथ ले जा सकते हो |<br> | 'उन्हें' साथ ले जा सकते हो |<br> | ||
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− | वे | + | वे देखें जिस समय चंद्रमा,<br> |
तब तुम निरखो सुघर चाँदनी |<br> | तब तुम निरखो सुघर चाँदनी |<br> | ||
− | + | फिर दोनों मिल कर के गाओ, <br> | |
मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |<br> | मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |<br> | ||
( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..)<br> | ( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..)<br> | ||
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'उनका' भोग लगा कर पाओ |<br> | 'उनका' भोग लगा कर पाओ |<br> | ||
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|<br> | कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|<br> | ||
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16:53, 6 नवम्बर 2007 का अवतरण
प्रकृति बदलती छण-छण देखो,
बदल रहे अणु, कण-कण देखो|
तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो |
भाग्य वाद पर अड़े हुए हो|
छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली,
जीवन में परिवर्तन लाओ |
परंपरा से ऊंचे उठ कर,
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
जब तक घर मे धन संपति हो,
बने रहो प्रिय आज्ञाकारी |
पढो, लिखो, शादी करवा लो ,
फिर मानो यह बात हमारी |
माता पिता से काट कनेक्शन,
अपना दड़बा अलग बसाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
करो प्रार्थना, हे प्रभु हमको,
पैसे की है सख़्त ज़रूरत |
अर्थ समस्या हल हो जाए,
शीघ्र निकालो ऐसी सूरत |
हिन्दी के हिमायती बन कर,
संस्थाओं से नेह जोड़िये |
किंतु आपसी बातचीत में,
अंग्रेजी की टांग तोड़िये |
इसे प्रयोगवाद कहते हैं,
समझो गहराई में जाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
कवि बनने की इच्छा हो तो,
यह भी कला बहुत मामूली |
नुस्खा बतलाता हूँ, लिख लो,
कविता क्या है, गाजर मूली |
कोश खोल कर रख लो आगे,
क्लिष्ट शब्द उसमें से चुन लो|
उन शब्दों का जाल बिछा कर,
चाहो जैसी कविता बुन लो |
श्रोता जिसका अर्थ समझ लें,
वह तो तुकबंदी है भाई |
जिसे स्वयं कवि समझ न पाए,
वह कविता है सबसे हाई |
इसी युक्ती से बनो महाकवि,
उसे "नई कविता" बतलाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
चलते चलते मेन रोड पर,
फिल्मी गाने गा सकते हो |
चौराहे पर खड़े खड़े तुम,
चाट पकोड़ी खा सकते हो |
बड़े चलो उन्नति के पथ पर,
रोक सके किस का बल बूता?
यों प्रसिद्ध हो जाओ जैसे,
भारत में बाटा का जूता |
नई सभ्यता, नई संस्कृति,
के नित चमत्कार दिखलाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ |
पिकनिक का जब मूड बने तो,
ताजमहल पर जा सकते हो |
शरद-पूर्णिमा दिखलाने को,
'उन्हें' साथ ले जा सकते हो |
वे देखें जिस समय चंद्रमा,
तब तुम निरखो सुघर चाँदनी |
फिर दोनों मिल कर के गाओ,
मधुर स्वरों में मधुर रागिनी |
( तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी ..)
आलू छोला, कोका-कोला,
'उनका' भोग लगा कर पाओ |
कुछ तो स्टैंडर्ड बनाओ|