"चलो जेल संगवारी / कोदूराम दलित" के अवतरणों में अंतर
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अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी, | अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी, |
11:36, 19 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी,
कतको झिन मन चल देइन, आइस अब हमरो बारी ।
जिहाँ लिहिस अउंतार कृष्ण हर, भगत मनन ला तारिस
दुष्ट मनन-ला मारिस अऊ भुइयाँ के भार उतारिस
उही किसम जुरमिल के हम गोरा मन-ला खेदारीं
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी ।
कृष्ण-भवन-मां हमू मनन, गाँधीजी सांही रहिबो
कुटबो उहाँ केकची तेल पेरबो, सब दुख सहिबो ।
चाहे निष्ठुर मारय-पीटय, चाहे देवय गारी
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी ।।
बड़ सिधवा बेपारी बन के, हमर देश मां आइस
हमर-तुम्हर मां फूट डार के, राज-पाट हथियाइस ।.
अब सब झन मन जानिन कि ये आय लुटेरा भारी
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी ।।
देख लिहिस जब हमर तुम्हर कमजोरी अऊ ढिलाई
मुसवा साहीं बघवा-मन ला चपकिस भूरी बिलाई ।
अभी भागिही, सब्बो झिन मिल के ओला ललकारीं
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी ।।
काम-बूता सब छोड़ इंकर, अब एक बात सुन लेवव
माते ह्वय लड़ाई ते माँ, मदद कभू झिन देवव ।
इनकर पाछू पड़ जावो, धर-धर के तेज तुतारी
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी ।।
उनकर मन के बम, बन्दूक, तोप, लौड़ी अऊ डंडा
सब हमार सत्याग्रह के, आगू पड़ जाही ठंडा ।
होवत हें बलिदान देश खातिर कतको नर-नारी
अपन देश आजाद करे बर, चलो जेल संगवारी ।।