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"दुश्मनी हमसे की ज़माने ने / मीर तक़ी 'मीर'" के अवतरणों में अंतर

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09:24, 20 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

दुश्मनी हमसे की ज़माने ने
जो जफ़ाकार तुझसा यार किया

ये तवाहुम का कारख़ाना है
याँ वही है जो ऐतबार किया

हम फ़क़ीरों से बे-अदाई क्या
आन बैठे जो तुमने प्यार किया

सद रग-ए-जाँ को ताब दे बाहम
तेरी ज़ुल्फ़ों का एक तार किया

सख़त काफ़िर था जिसने पहले "मीर"
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया