भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रमजनिया का दुखड़ा / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=अज्ञात
 
|रचनाकार=अज्ञात
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatBhojpuriRachna}}
 
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 
{{KKLokGeetBhaashaSoochi
 
|भाषा=भोजपुरी
 
|भाषा=भोजपुरी

14:41, 21 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रोई-रोई कहतिया बुढ़िया रमजनिया,
का कहीं ए बाबा आपन दुख के कहनियाँ।
जेठवा बेटउआ के कइनी सगाई,
अइसन बिआ मिलल दुलहिनिया भेटाइल,
खटिया पर पानी ध के माँगे ले भोजनिया। का कहीं...
कबो उहो घरवा में झाड़ू ना लगावे,
दिनभर भतरा के मुँहवे निहारे,
भतरे के किरिया खाले मोर दुलहिनिया। का कहीं...