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"कैसे कटी जिनगी हमार / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

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कइसे कटी जिनगी हमार
 
कइसे कटी जिनगी हमार
 
 
दई हो का हम कइलीं तुहार कि दु:ख हमें दे
 
दई हो का हम कइलीं तुहार कि दु:ख हमें दे
 
 
दिहल..अ...
 
दिहल..अ...
 
 
कि सुख मोर ले लिहल... अ... अ..
 
कि सुख मोर ले लिहल... अ... अ..
 
 
चारों तरफ भईंल अन्हार
 
चारों तरफ भईंल अन्हार
 
 
हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...
 
हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...
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21:15, 21 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

कइसे कटी जिनगी हमार
दई हो का हम कइलीं तुहार कि दु:ख हमें दे
दिहल..अ...
कि सुख मोर ले लिहल... अ... अ..
चारों तरफ भईंल अन्हार
हे सिरजनहार लगा द पार कि बड़ा दु:ख दे दिहल... अ...