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"माणस की खोड़ / रामफल चहल" के अवतरणों में अंतर

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मनुष्य योनि चौरासी लाख योनियां भोगने के पश्चात प्राप्त होती है ऐसा हमारे शास्त्रों में कहा गया है लेकिन यदि मनुष्य बनकर भी गरीबी में जीवन जीना पड़े तो यह और भी दुखदायी होती है।
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लख चौरासी जुणी भोगी फेर माणस की खोड़ मिल्यी
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जमीदारे म्हं के सुख पाया ना दो पायां नै ठोड़ मिल्यी
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मनमर्जी थोपी घरक्यां न कदे हंसा कदे रूवा दिया
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फठे पुराणे मिले पहरण न कदे कदाऊं नुहवा दिया
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गन्ठा रोटी लहासी चटणी कदे दलिया खिचड़ी खुवा दिया
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खेलण कूदण पै लगा पाबन्दी स्कूल का बस्ता ठुवा दिया
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उडे़ तैं मास्टरां नै पीट भजाया उनमें सबतैं घणी मरोड़ मिल्यी
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भैंस गाय मेरे तैं आच्छी उनतैं आच्छे कुत्ते बैल
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चाट बाट और खाणा मिलता हरदम बाज्जै उनकी टहल
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ब्याह मकान की चिंता कोन्या बाहर भीतर करते सैल
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बत्ती कदर मेरे तैं उनकी मैं सूक्का हाण्डू बणकै छैल
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पशुआं की लगै कीमत भारी मेरी नै कितै लोड़ मिल्यी
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सारी उम्र गई टोटे म्हं सदा कर्जा सिर पै धरया रहया
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ससोपंज म्हं जिन्दगी खो दई ना जिया ना मरया रहया
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सुख का सांस कदे ना आया बिपदा के म्हां धिरया रहया
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ब्याह बेटी अर भात बटेऊ ओले बाढ़ तै डरया रहया
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मेट अर पटवारी जाणै मेरी ना इसतै ऊपर दोड़ मिल्यी
  
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मेरी हालत सबतै माड़ी ना कोए करता ख्याल मेरा
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एस. ई. जैड. म्हं खूड चले गए के होग्या इब हाल मेरा
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पइसां उपर जूत बाज रहया छोहरी तै लडै़ इब लाल मेरा
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सुक्के हाथ मसलता हाण्डूं ज्यूं चोरां नै लूटया माल मेरा
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माथै त्योड़ी सदा रही चहल तनै बीवी भी नहीं हंसौड़ मिल्यी
 
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15:05, 25 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

मनुष्य योनि चौरासी लाख योनियां भोगने के पश्चात प्राप्त होती है ऐसा हमारे शास्त्रों में कहा गया है लेकिन यदि मनुष्य बनकर भी गरीबी में जीवन जीना पड़े तो यह और भी दुखदायी होती है।

लख चौरासी जुणी भोगी फेर माणस की खोड़ मिल्यी
जमीदारे म्हं के सुख पाया ना दो पायां नै ठोड़ मिल्यी
मनमर्जी थोपी घरक्यां न कदे हंसा कदे रूवा दिया
फठे पुराणे मिले पहरण न कदे कदाऊं नुहवा दिया
गन्ठा रोटी लहासी चटणी कदे दलिया खिचड़ी खुवा दिया
खेलण कूदण पै लगा पाबन्दी स्कूल का बस्ता ठुवा दिया
उडे़ तैं मास्टरां नै पीट भजाया उनमें सबतैं घणी मरोड़ मिल्यी

भैंस गाय मेरे तैं आच्छी उनतैं आच्छे कुत्ते बैल
चाट बाट और खाणा मिलता हरदम बाज्जै उनकी टहल
ब्याह मकान की चिंता कोन्या बाहर भीतर करते सैल
बत्ती कदर मेरे तैं उनकी मैं सूक्का हाण्डू बणकै छैल
पशुआं की लगै कीमत भारी मेरी नै कितै लोड़ मिल्यी

सारी उम्र गई टोटे म्हं सदा कर्जा सिर पै धरया रहया
ससोपंज म्हं जिन्दगी खो दई ना जिया ना मरया रहया
सुख का सांस कदे ना आया बिपदा के म्हां धिरया रहया
ब्याह बेटी अर भात बटेऊ ओले बाढ़ तै डरया रहया
मेट अर पटवारी जाणै मेरी ना इसतै ऊपर दोड़ मिल्यी

मेरी हालत सबतै माड़ी ना कोए करता ख्याल मेरा
एस. ई. जैड. म्हं खूड चले गए के होग्या इब हाल मेरा
पइसां उपर जूत बाज रहया छोहरी तै लडै़ इब लाल मेरा
सुक्के हाथ मसलता हाण्डूं ज्यूं चोरां नै लूटया माल मेरा
माथै त्योड़ी सदा रही चहल तनै बीवी भी नहीं हंसौड़ मिल्यी