भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatBhojpuriRachna}}
{{KKCatBhojpuriRachnakaar}}
<poem>मेरी बहियाँ बतावे फुलिहें अनरवा सेमर कचनरवा पलसवा गुलबवा अनन्त।बिरहा विरवा लगायो ‘बलविरवा’ सरोजवा, त हरवा गरवा में कि न देत।सो फुलिहें जो आयो हैं बसंत।।जब मुँहवाँ कहेला रजवा करत मोर चँदवा सरिसरजवा मथुरवा में हमस ब भइलीं फकीर।हमरी पिरितिया निबाहे कैसे ऊघो, कहु चँदवे निरखि कि न लेत।।’बलबिरवा’ की जतिया अहीर।।
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
2,357
edits