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"परिवेश से पैदा सलाह / प्रताप सहगल" के अवतरणों में अंतर

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जब मैं पैदा हुआ
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अखबारों में लिपटे हुए सैटर्न
मेरे कन्धों पर चढ़ा हुआ था एक बूढ़ा
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दबे-पिचके उदरों को
बढ़ी शेव
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अन्तरिक्ष में उछाल देते हैं-
झुकी गर्दन, फटेहाल
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चाँद पर पहुंचा हुआ लघुमानव
अब वह बूढ़ा मुझे ओढ़कर
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और भी लघु हो जाता है.
मेरी ही ज़ुबान पर नाचना चाहता है
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जल रहे हैं चन्द अखबार
यह साज़िश है उसकी
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और उनके प्रकाश में
मेरी आवाज़ के खिलाफ़
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होते हुए वैज्ञानिक परीक्षण
मैं नहीं हो सकता उसका हिस्सेदार.
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कुछ और करोड़ लोगों को
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पेड़ का खोल बनने के लिए कर
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देते हैं विवश
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तथा मूर्ख जन-समुदाय
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तालियाँ पीट-पीट कर
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अपनी नपुँसकता का देता है प्रमाण.
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विरोध का हल्का-सा स्वर
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मंगलग्रह की ओर दृष्टि किए हुए
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और भी हल्का हो जाता है
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विश्व इतना छोटा हो गया है
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कि बिल्कुल 'छोटा'
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'छोटापन' ही आज की सभ्यता का पर्याय है
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कुछ बड़ा लिए हुए सभ्यता के अवशेष
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हो रहे हैं ध्वंस
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और मानव हर ऊंची उड़न के साथ
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कुछ और नीचा हो जाता है
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बंधुओ! तुम्हें खाने को उपलब्ध है बारूद
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पीने के लिए अल्कोहल या काकटेल
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और तुम्हें क्या चाहिए
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नैसर्गिकता की दुहाई देकर नग्न हो जाओ
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अपनी आदि सभ्यता और संस्कृति की
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कुछ तो करो रक्षा
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या फिर मानव होने से दे दो त्यागपत्र
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ताकि फिर किसी को मनु होने का मिले चाँस.
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यह स्थान कई शताब्दियों से रिक्त है.
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मित्रो! तुम भी इकट्ठा करो बारूद
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या अखबारों की कतरनें
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और उनका ढेर लगाकर समाधिस्थ हो जाओ
 +
तुम भी खरीद लो
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मानव-कल्याण कम्पनियों के कुछ शेयर
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और किसी शान्ति-पुरस्कार की प्रतीक्षा में
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मन्त्रोच्चारण की प्रक्रिया में व्यस्त
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कुछ मंगलकामनाओं के
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सही-सही ड्राफ्ट तैयार करो.
 
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18:37, 13 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

अखबारों में लिपटे हुए सैटर्न
दबे-पिचके उदरों को
अन्तरिक्ष में उछाल देते हैं-
चाँद पर पहुंचा हुआ लघुमानव
और भी लघु हो जाता है.
जल रहे हैं चन्द अखबार
और उनके प्रकाश में
होते हुए वैज्ञानिक परीक्षण
कुछ और करोड़ लोगों को
पेड़ का खोल बनने के लिए कर
देते हैं विवश
तथा मूर्ख जन-समुदाय
तालियाँ पीट-पीट कर
अपनी नपुँसकता का देता है प्रमाण.
विरोध का हल्का-सा स्वर
मंगलग्रह की ओर दृष्टि किए हुए
और भी हल्का हो जाता है
विश्व इतना छोटा हो गया है
कि बिल्कुल 'छोटा'
'छोटापन' ही आज की सभ्यता का पर्याय है
कुछ बड़ा लिए हुए सभ्यता के अवशेष
हो रहे हैं ध्वंस
और मानव हर ऊंची उड़न के साथ
कुछ और नीचा हो जाता है
बंधुओ! तुम्हें खाने को उपलब्ध है बारूद
पीने के लिए अल्कोहल या काकटेल
और तुम्हें क्या चाहिए
नैसर्गिकता की दुहाई देकर नग्न हो जाओ
अपनी आदि सभ्यता और संस्कृति की
कुछ तो करो रक्षा
या फिर मानव होने से दे दो त्यागपत्र
ताकि फिर किसी को मनु होने का मिले चाँस.
यह स्थान कई शताब्दियों से रिक्त है.
मित्रो! तुम भी इकट्ठा करो बारूद
या अखबारों की कतरनें
और उनका ढेर लगाकर समाधिस्थ हो जाओ
तुम भी खरीद लो
मानव-कल्याण कम्पनियों के कुछ शेयर
और किसी शान्ति-पुरस्कार की प्रतीक्षा में
मन्त्रोच्चारण की प्रक्रिया में व्यस्त
कुछ मंगलकामनाओं के
सही-सही ड्राफ्ट तैयार करो.