"उडीक / कन्हैया लाल भाटी" के अवतरणों में अंतर
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल भाटी }} [[Category:मूल राजस्था...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 3: | पंक्ति 3: | ||
|रचनाकार=कन्हैया लाल भाटी | |रचनाकार=कन्हैया लाल भाटी | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} | |
− | {{KKCatKavita}}<poem>ओ म्हारा बेली | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem> | ||
+ | ओ म्हारा बेली | ||
थूं एक दिन चाणचकै | थूं एक दिन चाणचकै | ||
इण घोर रिंधरोही मांय | इण घोर रिंधरोही मांय | ||
पंक्ति 13: | पंक्ति 15: | ||
म्हैं गुमग्यो म्हारै सूं का थारै सूं । | म्हैं गुमग्यो म्हारै सूं का थारै सूं । | ||
म्हैं थनै हेलो पाड्तो | म्हैं थनै हेलो पाड्तो | ||
− | ओ म्हारा बेली | + | ओ म्हारा बेली..! |
− | पड़ूतर में | + | पड़ूतर में... |
सूनी गूंग कटार ज्यूं | सूनी गूंग कटार ज्यूं | ||
घुसगी म्हारै काळजै मांय | घुसगी म्हारै काळजै मांय |
14:08, 15 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
ओ म्हारा बेली
थूं एक दिन चाणचकै
इण घोर रिंधरोही मांय
म्हारो हाथ छोड़ा’र
ठाह नीं कठै जाय’र लुकग्यो
सोच्यो तो म्हैं हो
पण थूं म्हारो ई उस्ताद निकळ्यो
म्हैं गुमग्यो म्हारै सूं का थारै सूं ।
म्हैं थनै हेलो पाड्तो
ओ म्हारा बेली..!
पड़ूतर में...
सूनी गूंग कटार ज्यूं
घुसगी म्हारै काळजै मांय
म्हैं हाल तांई अठै’ई बैठो हूं
थनै उडीकतो !
होळै-होळै आ रिंधरोही बदळती जाय रैयी है
सूख रैया है ऐ सगळा रूंख अर तळाव
छानो पड़ग्तो है पंखेरूवां रो हाको
हेताळुआं री रगां मांय थमग्यो है लोही
स्सै जणा चितबांगा हुयग्या
घर रै आगै कळलाटियो मचग्यो
थारै टाबरां अर बेलियां री आंख्यां सूं
आंसू थम कोनी रैया है
बां नै धीजो बधावां पण
अबै भरोसो नीं रह्यो म्हारां पर
म्हैं इण चितराम ने देख’र
साव सूनो हुयग्यो
अर म्हनै लखायो कै
ई रिंधरोही री हरियाळी खत्म होग्यी है
भींत्यां बण’र ऊभा है सगळा मारग
म्हनै होळै होळै घेर रह्या है।
लोही मांत बैवण लागग्यो है इकलापो
सांस में दावानळ री गंध घुळगी है
बखत थमग्यो है
रात अर दिन एकसा हुयग्या है
रोसणी अर अंधारो एक हुयग्यो है।