भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पनजी मारू / प्रीत / गोरधन सिंह शेखावत" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत  
 
|रचनाकार=गोरधनसिंह शेखावत  
|
 
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
<poem>
 
<poem>
पंक्ति 34: पंक्ति 34:
 
छेली सींव माथै  
 
छेली सींव माथै  
 
सूंप्योड़ा छिण सी  
 
सूंप्योड़ा छिण सी  
 
 
<poem>
 
<poem>

10:14, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

प्रीत
फागण रै रात री
उणीँदी चांनणी री
कुंवांरा होठां री
अणबुझी
अछेही तिरस सी

प्रीत
गीत रै मांय
हिबोळा खाबती
गळगळी पीड़ सी
रूपाळी देह माथै
जोबन री
चढती पाण सी

प्रीत
डूंगर रै साथै
छांनै-छांनै
पसरीजता गुलाबी उजास सी
बरफ सूं ठारियोड़ी रात में
निवायो परस सी

प्रीत
मन रै गळियारै में
कबूल करियोड़ा
सबदां री
छेली सींव माथै
सूंप्योड़ा छिण सी