भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"विडम्बना (कविता लिखने की कोशिश में) / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शशि सहगल |संग्रह= }} <Poem> भरोसे की आँच में झूठ सोना ...)
 
(कोई अंतर नहीं)

11:19, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण

भरोसे की आँच में
झूठ
सोना बन चमकने लगा
और सच
एक कोने में
मायूस खड़ा
जोहता रहा बाट
खरा साबित होने की