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"विडम्बना (कविता लिखने की कोशिश में) / शशि सहगल" के अवतरणों में अंतर

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भरोसे की आँच में
+
रात के अँधेरे में
झूठ
+
तुम्हारी हल्की-सी दस्तक से
सोना बन चमकने लगा
+
जाग गया सारा शहर
और सच
+
पुलक उठी मैं तुम्हें देख
एक कोने में
+
पर
मायूस खड़ा
+
तुम किसी और को ढूँढ रहे थे।
जोहता रहा बाट
+
खरा साबित होने की
+
 
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11:20, 16 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

रात के अँधेरे में
तुम्हारी हल्की-सी दस्तक से
जाग गया सारा शहर
पुलक उठी मैं तुम्हें देख
पर
तुम किसी और को ढूँढ रहे थे।