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सियाळो !/ कन्हैया लाल सेठिया

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|संग्रह=लीलटांस / कन्हैया लाल सेठिया
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<Poem>
 
 
चंपैली रै
नानड़ियै फूलां सो
पोढ़ग्या पिणघट
सबद रै नांव
गांव में बड़तै अेवड़ एवड रोअेकल एकल बाजतो टोकरियो
का मारग बगतै
मदुआ ऊंटां री गाज,
फिरै सूंघती
चारै री ढूंगरयां!
 
 
</Poem>
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