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"जन कविता / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

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07:30, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

उगावै
प्रतिबद्धता रै
गमलां में
सबदां रा कैक्टस,

कोनी पूगै
तोड़‘र
पींदो
बां री जड़
पताल,

बिनां संवेदणा री नमी
लागज्या अदेवल
पोख सकै
मुगत माटी
बड़‘र पींपल !