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"घर में रमती कवितावां 25 / रामस्वरूप किसान" के अवतरणों में अंतर
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14:41, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
जुदाई रै
गुस्सै में
बावळो आंगणौं
फैंकतो रैवै
भौत बार
बेकार चीज
छात पर
पण छात
छाती देखौ
हांस‘र
सो कीं कबूलै।