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"खूंट / हरीश बी० शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>म्हारी खूंट री परली ठौड़ रो दरसाव तिस ने बधावै अर म्हारै पांति …)
 
 
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<poem>म्हारी खूंट री परली ठौड़ रो दरसाव
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म्हारी खूंट री परली ठौड़ रो दरसाव
 
तिस ने बधावै
 
तिस ने बधावै
 
अर म्हारै पांति रे तावड़े ने
 
अर म्हारै पांति रे तावड़े ने
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जिकै में रैवे थारै नांव रो ताप, ओ ताप
 
जिकै में रैवे थारै नांव रो ताप, ओ ताप
 
तोड़ देवै है कईं दफै हदां - थारी अर म्हारी खूंट बीचली
 
तोड़ देवै है कईं दफै हदां - थारी अर म्हारी खूंट बीचली
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15:01, 17 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

म्हारी खूंट री परली ठौड़ रो दरसाव
तिस ने बधावै
अर म्हारै पांति रे तावड़े ने
घणौ गैरो करे।
थारी छियां
म्हारी कळबळाट बधावण सारु
कम नीं पड़े।
थनै पाणै री बधती इंच्छा
देखतां-देखतां तड़प बण जावै
जिकै में रैवे थारै नांव रो ताप, ओ ताप
तोड़ देवै है कईं दफै हदां - थारी अर म्हारी खूंट बीचली