भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"सीख / रूपसिंह राजपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatRajasthaniRachna}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}
<poem>बरसना है तो रामजी ढंग स्यूं बरसो,
+
<poem>
 +
बरसना है तो रामजी ढंग स्यूं बरसो,
 
गाजण-गूजण में के पड़यो है ।
 
गाजण-गूजण में के पड़यो है ।
 
पति न परमेशर मानो ए पत्नियों,
 
पति न परमेशर मानो ए पत्नियों,

09:25, 18 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

बरसना है तो रामजी ढंग स्यूं बरसो,
गाजण-गूजण में के पड़यो है ।
पति न परमेशर मानो ए पत्नियों,
साजण-सूजण में के पड़यो है ।
घरूं पढ़ण जान्ती छोरियां न इत्तो ई कहंनो है ,
थे दौड़ लगाण सीख ल्यो,
भाजण-भूजण में के पड़यो है