भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रिस्ता / शिवदान सिंह जोलावास" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिवदान सिंह जोलावास |संग्रह= }} [[Categor...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

10:06, 18 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

भरोसा री भींत माथै
ऊभा है रिस्ता।
 
चांद, तारा, समंदर अर बिरखा
फगत झूठा दिलासा है।
 
साच पूछो तो
पसीनै री गंध
अर लहू सूं काठा बंध्योड़ा है
रिस्ता।