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"साहितकार : दो / शिवराज भारतीय" के अवतरणों में अंतर

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म्हैं वां सूं पूछ्यो
 
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खिलखिलावंतो चै‘रो
 
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21:59, 18 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

म्हैं वां सूं पूछ्यो
बा‘सा कीकर जीवो
फकत साहित् रै ताण
जठै
अरथ बिहूणा हुग्या
कविता रा सबद
पांगळां हुग्या गीत
उतार दीनी लोई
छोड़ न्हाकी प्रीत
स्यात्
देवता भी कदैई कूच करग्या
साहित सूं।
वै मुळक्या
इमरत घोळता-सा
उथळ्या
मन रा मीत
अमर रहसी कविता
अमर रहसी गीत
पोखता रहसी हमेस
आपसरी री प्रीत
म्हारा गीत
जद किणी
उदास चै‘रै नै
फूल ज्यूं खिलाद्यै
तद
वो मुळकतो
खिलखिलावंतो चै‘रो
म्हारो उमर बधादयै।