भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जरमन तेरा जाइयो राज / हरियाणवी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{ KKLokRachna |रचनाकार }} जरमन तेरा जाइयो राज, आज ना तडकै! तन्ने मारे बिराने ...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
जरमन तेरा जाइयो राज, | जरमन तेरा जाइयो राज, | ||
− | आज ना तडकै! | + | आज ना तडकै ! |
तन्ने मारे बिराने लाल | तन्ने मारे बिराने लाल | ||
− | जहाज भर-भर के! | + | जहाज भर-भर के ! |
मैं किस पर करूँ सिंगार | मैं किस पर करूँ सिंगार | ||
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
'''भावार्थ'''<br><br> | '''भावार्थ'''<br><br> | ||
− | --'अरे जरमन! तेरा राज ख़त्म हो जाए, आज ही या कल सुबह तक तू सत्ता में न रहे । अरे तूने कितने ही | + | --'अरे जरमन ! तेरा राज ख़त्म हो जाए, आज ही या कल सुबह तक तू सत्ता में न रहे । अरे तूने कितने ही |
− | पराए बेटों को मार डाला । वे हमारे पति थे जो जहाजों में भर-भर कर मोरचों पर ले जाए गए थे । हाय! मैं | + | पराए बेटों को मार डाला । वे हमारे पति थे जो जहाजों में भर-भर कर मोरचों पर ले जाए गए थे । हाय ! मैं |
− | करूँ भी तो कैसे ? मेरा तो कलेजा धड़क रहा है !' | + | शृंगार करूँ भी तो कैसे ? मेरा तो कलेजा धड़क रहा है !' |
12:18, 13 नवम्बर 2007 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
जरमन तेरा जाइयो राज,
आज ना तडकै !
तन्ने मारे बिराने लाल
जहाज भर-भर के !
मैं किस पर करूँ सिंगार
कालजा धड़के!
भावार्थ
--'अरे जरमन ! तेरा राज ख़त्म हो जाए, आज ही या कल सुबह तक तू सत्ता में न रहे । अरे तूने कितने ही
पराए बेटों को मार डाला । वे हमारे पति थे जो जहाजों में भर-भर कर मोरचों पर ले जाए गए थे । हाय ! मैं
शृंगार करूँ भी तो कैसे ? मेरा तो कलेजा धड़क रहा है !'