"डावड़ी, करलै मीठी बातां ! / देवकिशन राजपुरोहित" के अवतरणों में अंतर
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=देवकिशन राजपुरोहित |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थान…) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | {{KKCatKavita}}<poem>डावड़ी, करलै मीठी बातां ! | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
+ | <poem> | ||
+ | डावड़ी, करलै मीठी बातां ! | ||
आ च्यार दिनां री चमक-चानणी, फेर अंधारी रातां । | आ च्यार दिनां री चमक-चानणी, फेर अंधारी रातां । | ||
रूं-रूं में थारै जबर जवानी, देर न लागै जातां ॥ | रूं-रूं में थारै जबर जवानी, देर न लागै जातां ॥ | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 25: | ||
एक आसरो लेय गुरु रो, पकड़ उणां नैं बाथां । | एक आसरो लेय गुरु रो, पकड़ उणां नैं बाथां । | ||
देवकिशन कहै, सुण गजेसिंह, गावो गुरु री गाथा ॥ | देवकिशन कहै, सुण गजेसिंह, गावो गुरु री गाथा ॥ | ||
− | डावड़ी, करलै मीठी बातां !</poem> | + | डावड़ी, करलै मीठी बातां ! |
+ | </poem> |
09:12, 19 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
डावड़ी, करलै मीठी बातां !
आ च्यार दिनां री चमक-चानणी, फेर अंधारी रातां ।
रूं-रूं में थारै जबर जवानी, देर न लागै जातां ॥
डावड़ी, करलै मीठी बातां !
क्यांनैं गतब करै जोबन रो, थिर नहीं थारै हाथां ।
थिर न जवानी रंग-रूप है, क्यूं गरबीजै पातां ॥
डावड़ी, करलै मीठी बातां !
ओ माटी में काल मिलैला, रुकै न रोक्यां जागां ।
भला करम करलै ए डावड़ी, ओ ही चालसी साथां ॥
डावड़ी, करलै मीठी बातां !
ओढ्यां। पैरियां फिरै एकेली, जीव न लागै जागां ।
मन रो पंछी फिरै डोलतो, भटकै बागां-बागां ॥
डावड़ी, करलै मीठी बातां !
गोरड़ी क्यूं करै मिजाज, प्रेम सूं करलै मीठी बातां ।
धन जोबन माटी मिल ज्यासी, रोक्यो रुकै न जातां ॥
डावड़ी, करलै मीठी बातां !
एक आसरो लेय गुरु रो, पकड़ उणां नैं बाथां ।
देवकिशन कहै, सुण गजेसिंह, गावो गुरु री गाथा ॥
डावड़ी, करलै मीठी बातां !