भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कवि कीट्स नै फेरूं पढ़िया / नारायणसिंह भाटी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
एक पल रौ इतिहास है
 
एक पल रौ इतिहास है
  
पण इण पल रो खिंवण1
+
पण इण पल रो खिंवण<ref>बिजळी सी चमक</ref>
 
लाख बरस लग तपियोड़ै
 
लाख बरस लग तपियोड़ै
 
लोही री कांठळ हेठै
 
लोही री कांठळ हेठै
 
कदै कदास ही
 
कदै कदास ही
मावटी2 मींट टिमकारै ।
+
मावटी<ref>माह महीने री बिरखा</ref> मींट टिमकारै ।
 
+
(1 बिजळी सी चमक : 2 माह महीने री बिरखा )
+
 
</poem>
 
</poem>
 +
{{KKMeaning}}

10:04, 19 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

कालै ही म्हैं कीट्स नै
पाछौ पढियौ
म्हनै लागौ
कै एक पळ री जिंदगी में
लाख बरस जिया जा सकै है
अर लाख बरसां रौ इतिहास
एक पल रौ इतिहास है

पण इण पल रो खिंवण<ref>बिजळी सी चमक</ref>
लाख बरस लग तपियोड़ै
लोही री कांठळ हेठै
कदै कदास ही
मावटी<ref>माह महीने री बिरखा</ref> मींट टिमकारै ।

शब्दार्थ
<references/>