भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पपीहा रे पीऊ की बोली ना सुनाव / महेन्द्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
05:41, 22 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
पपीहा रे पीऊ की बोली ना सुनाव।
मेरो पिया परदेस गए हैं ओही देस में जाव। पपीहा रे।
आधी-आधी रतिया पिछली पहरिया।
सोवत नीन्द ना जगाव। पपीहा रे।
द्विज महेन्द्र विरहा की मारी
नाहीं जले को जलाव। पपीहा रे।