भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"प्यारी-प्यारी कारी-कारी अब घटा आने लगे / महेन्द्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र मिश्र |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|रचनाकार=महेन्द्र मिश्र  
 
|रचनाकार=महेन्द्र मिश्र  
 
|अनुवादक=
 
|अनुवादक=
|संग्रह=प्रेम व श्रृंगार रस की रचनाएँ / महेन्द्र मिश्र
+
|संग्रह=
 
}}
 
}}
 
{{KKCatGhazal}}
 
{{KKCatGhazal}}

16:49, 23 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

प्यारी-प्यारी कारी-कारी अब घटा आने लगे।
ऐ हमारे प्राण प्यारे तू कहाँ जाने लगे।

रात दिन बोले पपीहा दिल को धड़काने लगे।
क्या बिगाड़ा कोकिला का मुझको बहकाने लगे।

घोर घन गरजन लगे वो मेह बरसाने लगे।
भर गई नदियाँ ओ नाले बिजली चमकाने लगे।

क्या करूँ अब तो महेन्दर मुझको तरसाने लगे।
पाँब पर-पर के मनाऊँ तब भी झुंझलाने लगे।