भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पूजा / इमरोज़ / हरकीरत हकीर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इमरोज़ |अनुवादक=हरकीरत हकीर |संग्...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | [[Category:पंजाबी भाषा]] | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> |
12:25, 24 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
इक दिन
भगवान को पूछा
टूटे बाजारी फूलों से
किसी की पूजा हो सकती है?
भगवान ने हँस कर कहा
तूने देखा होगा
मंदिरों में घरों में
जहाँ कहीं भी टूटे फूलों से
पूजा होती है या हो रही है
वहाँ मैं पत्थर हो जाता हूँ
न सुनता हूँ न बोलता हूँ न देखता हूँ
पर जो खुद फूल बनकर
मेरी पूजा करता है
वहाँ मैं बुत नहीं बनता
उसे देख-देख
मैं भी फूल हो जाता हूँ
प्यार हो जाता हूँ…।