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मोरे पिछवरवाँ धन बसियरिया | मोरे पिछवरवाँ धन बसियरिया |
15:07, 29 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
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मोरे पिछवरवाँ धन बसियरिया
गलियाँ फिरही श्री राम रे
अस कोऊ नाही रे नगर अयोध्या राम पियासन जांये
भीतर से निकरी हैं सीता रानियवाँ हथवा गेडुवा जुड़ पानि
बैइठो न राम हो ऊँचे चबूतरा पियहु गेडुआ जुड़ पानि
केकर हौ तुन्ह बरी दुलारी केकर करिना कुआँर
केकरे घरा तू बेही बटुयु केकरि करिना कुआरि
रजा जनक कै बरी दुलारी उन्ही कै करिना कुआरि
राजा दसरथ घरा बेही बाटी राम कै होई बहुआरि
यतना बचन सुने राम से लक्षमन गलियाँ में हेरहिं कहार
अरे अरे कन्हरा भईया सोने कै डोलिया सजाओ मोरे भईया सीता अवध पहुचाओ
यतना बचन सुनी सीता रनिवा गलियाँ में छोड़हीन भोकार
अस कोयू नाही नगर अयोध्या राम मिले ठगहार