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"सीमा पार / सुभाष काक" के अवतरणों में अंतर

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तब समय की एक अलग
 
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धड़कन थी।
 
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11:15, 14 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण

तब समय की एक अलग
धड़कन थी।

पगडंडी पहाड़ के पार
एक घाटी में आई।

झूमते
विशाल वृक्षों के नीचे
जहाँ खुला स्थान था,
और घूमता झरना था।

अब यह नगर है।
विशाल भवनों के मध्य
पर्यटकों के लिए
एक छोटी धारा है।
पर गगनचुंबी महालय
हवा में लहराते नहीं।

स्तब्धता है
समय के ताल में अब
एक व्याकुलता।

मन क्षोभ और भय के बीच
खिंच रहा है।