भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ओळूं आई / सिया चौधरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सिया चौधरी |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCatRajasth...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:49, 23 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण

ओळूं आई...
मां रै सागै थांरी
करती ही हथाई
फेर आ जावती लाज
जद मां बतावती
सासरियै री कोई बात....।
 
म्हनैं पाछी
मधरै वायरै-सी
ओळूं आई...
बैनां चिड़ावती,
हंसती अर कैवती-
ओ लाडेसर जीजी!
थांरो ब्यांव करांला
कैर रै उपराळै बैठा....।
 
फेर कठै सूं
थाक्योड़ी-सी म्हनैं
ओळूं आई....
बिना खोट, क्यूं थे
भेज दियो संदेसो
कै नीं आवैली
म्हारै मांढै ऊपरां
थांरी बरात....।