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"कि सखि रे, कहाँ बिलमइ गिरधारी / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

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हाँ रे, जाँत नाहिं चलई माई रे, मकरियो ना डोले
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कि सखि रे, कहाँ बिलमइ गिरधारी
कि आहे हाँ रे, जुअवा पकड़ि अब रोवे कामिन रे।।१।।
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सांझ भये नहिं आये मुरारी।।१।।
हाँ रे धोबिया त धोवे माई रे, अहिरा पुकारे
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कि खोजन चलले मातु जसोदा, घर-घर करत पूछाई हे,
कि आहे, केकरो तिरिअवा माई हे, रोवे जँतिसारे।।२।।
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कारन कवन नाथ नहिं आये, सखि रे कंसा के डर भारी।।२।।
पासवा त बीगे राजा बेल-तर बबूर-तर
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हाँ रे, झुंड-झुंड सखी सब आये, पारे जसोदा के गारी
कि आहे माई हे, धाई त बइठल जँतिसारे।।३।।
+
बरिजहु जसोदा जे अपनी लाल के, कि सखि रे, सखियन के चोली फारी।।३।।
हाँ रे, बाँह धइ उठावे राजा, जाँघे बइठावे
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रोअत-कानत आवे मनमोहन, नयना से नीर बहाइ
कि आहे राजा अपने पटुकवे लोर पोंछे।।४।।
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छोरि लिये मोरा मटुक पीताम्बर, सब सखियन मिली मारी।।४।।
तोहरो पटुकवा राजा दर दरवारवा
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कि आहे राजा, हमरे अंचरवा लोरवा पोंछू।।५।।
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09:58, 20 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण

कि सखि रे, कहाँ बिलमइ गिरधारी
सांझ भये नहिं आये मुरारी।।१।।
कि खोजन चलले मातु जसोदा, घर-घर करत पूछाई हे,
कारन कवन नाथ नहिं आये, सखि रे कंसा के डर भारी।।२।।
हाँ रे, झुंड-झुंड सखी सब आये, पारे जसोदा के गारी
बरिजहु जसोदा जे अपनी लाल के, कि सखि रे, सखियन के चोली फारी।।३।।
रोअत-कानत आवे मनमोहन, नयना से नीर बहाइ
छोरि लिये मोरा मटुक पीताम्बर, सब सखियन मिली मारी।।४।।