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"लालन एहो, कातिक निसुत दिवाली / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर
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− | + | लालन एहो, कातिक निसुत दिवाली, पिया संग खेलबइ जुआड़ी | |
− | + | अगहन अग्र स्नेह बारी तिरिया, सात्सुर जाइ रे। | |
− | + | लालन एहो, पूस चढ़ल पुसबारी सारो सुग्गा बाल न आने रे, | |
− | + | माघहिं खाट बिनाई, पिया बिन जाड़ों न जाई रे। | |
− | + | लालन एहो, नवखंड आम महू रे डार, फागुन ऋतु धावे, | |
− | + | चइत चढ़ल चित भोरे, पिया परदेस गइल रे। | |
− | + | लालन एहो, बइसाख चढ़ल मदमाती, नीदी मोरे प्रेम भइल रे, | |
− | + | जेठ चढ़ल तन चूए, गोरी के अंग चीरो न सोहाई रे। | |
− | + | लालन एहो, आसाढ़ घटा घनघोरे, पिया के माथे छत्र बिराजे, | |
− | + | सावन रचत हिंडोला, सखी सब झूलन जाई रे। | |
− | + | लालन एहो, भादो ही निसु आँधियारी, सेज छोड़ी धनि बैठि दुआरी, | |
− | + | कुआर ही आस लगाई, पिया मोरे पास न आई रे। | |
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10:03, 20 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण
लालन एहो, कातिक निसुत दिवाली, पिया संग खेलबइ जुआड़ी
अगहन अग्र स्नेह बारी तिरिया, सात्सुर जाइ रे।
लालन एहो, पूस चढ़ल पुसबारी सारो सुग्गा बाल न आने रे,
माघहिं खाट बिनाई, पिया बिन जाड़ों न जाई रे।
लालन एहो, नवखंड आम महू रे डार, फागुन ऋतु धावे,
चइत चढ़ल चित भोरे, पिया परदेस गइल रे।
लालन एहो, बइसाख चढ़ल मदमाती, नीदी मोरे प्रेम भइल रे,
जेठ चढ़ल तन चूए, गोरी के अंग चीरो न सोहाई रे।
लालन एहो, आसाढ़ घटा घनघोरे, पिया के माथे छत्र बिराजे,
सावन रचत हिंडोला, सखी सब झूलन जाई रे।
लालन एहो, भादो ही निसु आँधियारी, सेज छोड़ी धनि बैठि दुआरी,
कुआर ही आस लगाई, पिया मोरे पास न आई रे।