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"लालन एहो, कातिक निसुत दिवाली / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

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सुन सखिया हे, कहवाँ ही सिरिजे़ले सुन्नर हथिया, कहवाँ ही सिरिजे मजोर हे,
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लालन एहो, कातिक निसुत दिवाली, पिया संग खेलबइ जुआड़ी
कहवाँ ही सिरजे ननदी के भइया, जहाँ बसे प्रान हमार हे।।१।।
+
अगहन अग्र स्नेह बारी तिरिया, सात्सुर जाइ रे।
सुन सखिया हे, बनवा ही सिरजेले सुन्नर हथिया, बनवाँ ही सिरजे मजोर हे,
+
लालन एहो, पूस चढ़ल पुसबारी सारो सुग्गा बाल न आने रे,
माई कोखी सिरजेले ननदी के भइयवाव, जहाँ बसे प्रान हमार हे।।२।।
+
माघहिं खाट बिनाई, पिया बिन जाड़ों न जाई रे।
सुन सखिया हे, केहरी से अइले सुन्नर हथिया, केहरी से अइले मजोर हे,
+
लालन एहो, नवखंड आम महू रे डार, फागुन ऋतु धावे,
केहरी से आवेले ननदी के भइया, जहाँ बसे प्रान हमार हे।।३।।
+
चइत चढ़ल चित भोरे, पिया परदेस गइल रे।
सुन सखिया हे, पूरुबे से अइले सुन्नर हथिया, दखिन से अइले मजोर हे,
+
लालन एहो, बइसाख चढ़ल मदमाती, नीदी मोरे प्रेम भइल रे,
पछिम से अइले ननदी के भइअवा, जहाँ बसे प्रान हमार रे।।४।।
+
जेठ चढ़ल तन चूए, गोरी के अंग चीरो न सोहाई रे।
सुन सखिया हे, कहँवें, बइठइबो में सुन्नर हथिया, कहँवें बइठइबो मजोर हे
+
लालन एहो, आसाढ़ घटा घनघोरे, पिया के माथे छत्र बिराजे,
कहँवें बइठबो में ननदी के भइअवा, जहाँ बसे प्रान हमार हे।।५।।
+
सावन रचत हिंडोला, सखी सब झूलन जाई रे।
सुन सखिया हे, दुअरे बइठइबों में सुन्नर हथिया, घरीए बइठइबों मजारे हे
+
लालन एहो, भादो ही निसु आँधियारी, सेज छोड़ी धनि बैठि दुआरी,  
मड़वे बइठइबो में ननदी के भइअवा, जहाँ बसे प्रान हमार हे।।६।।
+
कुआर ही आस लगाई, पिया मोरे पास न आई रे।
सुन सखिया हे, केथिए खिअइबों में सुन्नर हथिया, केथिए खिअइबों मजोर हे
+
केथिए खिअइबों में ननदी के भइयवा, जहाँ बसे प्रान हमार हे।।७।।
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सुन सखिया हे, डरवे खिअइबों में सुन्नर हथिया, खोअबे खिअइबों मजोर हे
+
दाल-भात खिअइबों में सुन्नर हथिया, खोअबे खिअइबों मजोर हे
+
दाल-भात खिअइबों में ननदी के भइयवा, जहाँ बसे प्रान हमारे हे।।८।।
+
सुन सखिया हे, केथिए समोधबों में सुन्नर हथिया, केथिए समधबों मजोर हे
+
केथिए समधबों में ननदी के भइयवा, जहाँ बसे प्रान हमार हे।।९।।
+
सुन सखिया हे, टकले समोधबों में सुन्नर हथिया, टकले समोधबों मजोर हे
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टकलो समोधबों में ननदी के भइअवा, जहाँ बसे प्रान हमार हे।।१0।।
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10:03, 20 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण

लालन एहो, कातिक निसुत दिवाली, पिया संग खेलबइ जुआड़ी
अगहन अग्र स्नेह बारी तिरिया, सात्सुर जाइ रे।
लालन एहो, पूस चढ़ल पुसबारी सारो सुग्गा बाल न आने रे,
माघहिं खाट बिनाई, पिया बिन जाड़ों न जाई रे।
लालन एहो, नवखंड आम महू रे डार, फागुन ऋतु धावे,
चइत चढ़ल चित भोरे, पिया परदेस गइल रे।
लालन एहो, बइसाख चढ़ल मदमाती, नीदी मोरे प्रेम भइल रे,
जेठ चढ़ल तन चूए, गोरी के अंग चीरो न सोहाई रे।
लालन एहो, आसाढ़ घटा घनघोरे, पिया के माथे छत्र बिराजे,
सावन रचत हिंडोला, सखी सब झूलन जाई रे।
लालन एहो, भादो ही निसु आँधियारी, सेज छोड़ी धनि बैठि दुआरी,
कुआर ही आस लगाई, पिया मोरे पास न आई रे।