भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हाँ रे, राजा जनक जग ठानेलें ए / भोजपुरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

12:01, 21 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण

हाँ रे, राजा जनक जग ठानेलें ए, अब सखि धेनखा दिहले ओठंगाय,
सखि सिया-वर ठानेले ए।।१।।
हाँ रे, सीता सुभउवा कारन आइल हे, देखन आइल हे,
पृथिवी कोई नाहीं वीर, धेनुख नाहीं टूटल हे।।२।।
हाँ रे, सीता सुभाव कारन आइल, देखन आइल हे,
देखन राम भगवान, जनकपुर आइल हे।।३।।
हाँ रे, बड़ी-बड़ी भूप वीर सब आइल हे, देखन आइल हे,
पृथिवी में कोई नाहीं वीर, धेनुख नाहीं टूटला हे।।४।।
हाँ रे, बायें जे बइठल लछुमन, दुनु कर जोरले हे,
अब सखि हुकुम पइतीं भगवान, धेनुख घइ तूरब हे।।५।।
हाँ रे, बड़ी-बड़ी भूप वीर आइल हे, आहे अब सखि,
बइठेले सभवा लजाय, सिया-वर ठानेलें ए।।६।।
अंगुठा के बल देइ धेनुखा उठावे लाए, अब सखि,
धेनुखा भइले नवखंड, अब सखि मेदिनी घहराइल हे।।७।।
कि अब सखि, शिवजी भइले अगुआन, गोपीनी दल साजे लाये,
कि अब सखि, सबद भइले परशुराम, गोपीनी दल साजे लाये।।८।।