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"गुज़रे मौसम का पता सुर्ख लबों पर रखना / रमेश 'कँवल'" के अवतरणों में अंतर

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16:50, 24 दिसम्बर 2013 के समय का अवतरण

गुज़़रे मौसम का पता सुर्ख़ लबों1 पर रखना
अपनी आंखों में मे रेक़ुर्ब2 का मंज़र रखना .

तुम गये साल महीनों को संजोकर रखना
याद आयेगी मेरी, याद बराबर रखना .

बंद कर नानतअल्लुक़4 के दरीचे को कभी
तुम मुलाक़ात के आंगन को मुनव्वर5 रखना .

अपनी सांसों में बसाले ना वफ़़ा की खु़शबू
अपने जूड़े को गुलाबों से मुअ़त्तर6 रखना .

एक दस्तक तुम्हें चौंकाती रहेगी अक्सर
इक दिया दिल के घरौदें मे जलाकर रखना। .


मेरे हिस्से में तबाही की घनी तल्खी7 है
तुम लबे-शीरीं8 के अमृत को बचाकर रखना .

एक जलता हुआ सूरज है मेरी ज़ात में क़ैद
तुम भी लहराता हुआ तन का समुन्दर रखना .

गर्द जिस पर नम हो-साल9 की जमने पाये
दिल की दीवार पे इक ऐसा कलेन्डर रखना .

वो उभर आयेगी हाथों की लकीरों मे 'कँवल'
उसके मिल जाने का अहसास बराबर रखना .


1. होंट 2. सामीप्य 3. दृश्य 4. संबंध 5. प्रकाशमान 6. सुगंधित
7. कटुता-कड़वाहट 8. मधुर होंट 9. महीनावर्ष।