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"ओझा का स्वप्न / सेरजिओ बदिल्ला / रति सक्सेना" के अवतरणों में अंतर
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उन दिनों मैं एक ओझा के उन्माद से ग्रस्त था | उन दिनों मैं एक ओझा के उन्माद से ग्रस्त था | ||
− | जिसने कि रेगिस्तान के नीचे एक रेगिस्तानी | + | जिसने कि रेगिस्तान के नीचे एक रेगिस्तानी ज़मीन को खोज निकाला था |
− | रेत के | + | रेत के क़रीब रूखे पत्थर से बनी उजाड़ दीवार, |
− | स्तब्ध स्मृतियाँ जो मेरे | + | स्तब्ध स्मृतियाँ जो मेरे कमज़ोर पिता से मिलती थीं |
ऐसा भोलापन नहीं था जो संदेह की जगह मरीचिका, | ऐसा भोलापन नहीं था जो संदेह की जगह मरीचिका, | ||
जो मृत्यु लाती है को घुसपैठ करने दे | जो मृत्यु लाती है को घुसपैठ करने दे | ||
− | पीछे से बंजर | + | पीछे से बंजर ज़मीन से अपने दर्दभरे जवाब सुनने को |
मैं ऊँचे पठार की और चला आया, | मैं ऊँचे पठार की और चला आया, | ||
मैदान में तारे देखता हुआ रात भर भटकता रहा | मैदान में तारे देखता हुआ रात भर भटकता रहा | ||
− | समतल धरा में निरे | + | समतल धरा में निरे सिद्धान्तों वाले दिन |
चूना पत्थर पर चमकते चिह्न | चूना पत्थर पर चमकते चिह्न | ||
दुर्भाग्य के कगार पर एक परिदृश्य | दुर्भाग्य के कगार पर एक परिदृश्य | ||
− | जहाँ बाहर संभवतया मेरे भाई हैं या फिर शत्रु? | + | जहाँ बाहर संभवतया मेरे भाई हैं या फिर शत्रु ? |
या फिर मेरे पिता भँवरे की टाँगों में | या फिर मेरे पिता भँवरे की टाँगों में | ||
− | लक्ष्यरहित उड़ रहे है | + | लक्ष्यरहित उड़ रहे है ब्रह्माण्ड की कठोरता में |
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21:45, 5 जनवरी 2014 के समय का अवतरण
उन दिनों मैं एक ओझा के उन्माद से ग्रस्त था
जिसने कि रेगिस्तान के नीचे एक रेगिस्तानी ज़मीन को खोज निकाला था
रेत के क़रीब रूखे पत्थर से बनी उजाड़ दीवार,
स्तब्ध स्मृतियाँ जो मेरे कमज़ोर पिता से मिलती थीं
ऐसा भोलापन नहीं था जो संदेह की जगह मरीचिका,
जो मृत्यु लाती है को घुसपैठ करने दे
पीछे से बंजर ज़मीन से अपने दर्दभरे जवाब सुनने को
मैं ऊँचे पठार की और चला आया,
मैदान में तारे देखता हुआ रात भर भटकता रहा
समतल धरा में निरे सिद्धान्तों वाले दिन
चूना पत्थर पर चमकते चिह्न
दुर्भाग्य के कगार पर एक परिदृश्य
जहाँ बाहर संभवतया मेरे भाई हैं या फिर शत्रु ?
या फिर मेरे पिता भँवरे की टाँगों में
लक्ष्यरहित उड़ रहे है ब्रह्माण्ड की कठोरता में