भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"खबर / विमलेश त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विमलेश त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
20:17, 18 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण
एक सुस्त-सी रात में
सन्नाटा घर की बूढ़ी चारदिवारी के भीतर
जोर-जोर से खाँस रहा था
बाहर दुद्धिया दानों की नमी
पाले की मार से काली हो रही थी
दूसरे दिन सुबह
नहीं हुई सुबह की तरह
सूरज की तरह नहीं उगा सूरज
यह खबर घर की चारदिवारी से खेत
और खेत से पूरे इलाके में फैल गयी
सभी लोग अचम्भे में थे
कि इतनी बड़ी खबर की तस्वीर
गाँव की इकलौती टी.वी. पर
किसी को भी नजर नहीं आयी