भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्राण / इष्टदेव सांकृत्यायन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इष्टदेव सांस्कृत्यायन }} {{KKCatNavgeet}} <poe...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=इष्टदेव | + | |रचनाकार=इष्टदेव सांकृत्यायन |
}} | }} | ||
{{KKCatNavgeet}} | {{KKCatNavgeet}} |
16:09, 24 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण
माचिस की डिब्बी
डिब्बी में तीली
बाहर-भीतर की यह
आदत ज़हरीली।
सिकुड़ी-सी
लगतीं है
इस घर में आँतें
चौखट के बाहर हैं
समता की बातें
मूल्यों का कैसे
निर्वाह करें बोलो
अब है उठान कम
पर आवक खर्चीली?
एक अदद प्राण और
छः-छः दीवारें
अफनाएँ अक्सर-हम
पर किसे पुकारें?
तेजी का झोंका औ’
मंदी का दौर
भर आईं फिर-फिर से
आँखें सपनीली।