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"टूटी है मेरी नींद / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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टूटी है मेरी नींद, मगर तुमको इससे क्या | टूटी है मेरी नींद, मगर तुमको इससे क्या | ||
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बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या | बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या | ||
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तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते रहो | तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते रहो | ||
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कट जाएँ मेरी सोच के पर तुमको इससे क्या | कट जाएँ मेरी सोच के पर तुमको इससे क्या | ||
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औरों का हाथ थामो, उन्हें रास्ता दिखाओ | औरों का हाथ थामो, उन्हें रास्ता दिखाओ | ||
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मैं भूल जाऊँ अपना ही घर, तुमको इससे क्या | मैं भूल जाऊँ अपना ही घर, तुमको इससे क्या | ||
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अब्र-ए-गुरेज़-पा को बरसने से क्या ग़रज़ | अब्र-ए-गुरेज़-पा को बरसने से क्या ग़रज़ | ||
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सीपी में बन न पाए गुहर, तुमको इससे क्या | सीपी में बन न पाए गुहर, तुमको इससे क्या | ||
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ले जाएँ मुझको माल-ए-ग़नीमत के साथ उदू | ले जाएँ मुझको माल-ए-ग़नीमत के साथ उदू | ||
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तुमने तो डाल दी है सिपर, तुमको इससे क्या | तुमने तो डाल दी है सिपर, तुमको इससे क्या | ||
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तुमने तो थक के दश्त में ख़ेमे लगा लिए | तुमने तो थक के दश्त में ख़ेमे लगा लिए | ||
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तन्हा कटे किसी का सफ़र, तुमको इससे क्या । | तन्हा कटे किसी का सफ़र, तुमको इससे क्या । | ||
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अब्र-ए-ग़ुरेज़-पा=भागते हुए बादल; उदू=दुश्मन; सिपर=ढाल; दश्त=जंगल | अब्र-ए-ग़ुरेज़-पा=भागते हुए बादल; उदू=दुश्मन; सिपर=ढाल; दश्त=जंगल |
11:40, 3 मार्च 2014 के समय का अवतरण
टूटी है मेरी नींद, मगर तुमको इससे क्या
बजते रहें हवाओं से दर, तुमको इससे क्या
तुम मौज-मौज मिस्ल-ए-सबा घूमते रहो
कट जाएँ मेरी सोच के पर तुमको इससे क्या
औरों का हाथ थामो, उन्हें रास्ता दिखाओ
मैं भूल जाऊँ अपना ही घर, तुमको इससे क्या
अब्र-ए-गुरेज़-पा को बरसने से क्या ग़रज़
सीपी में बन न पाए गुहर, तुमको इससे क्या
ले जाएँ मुझको माल-ए-ग़नीमत के साथ उदू
तुमने तो डाल दी है सिपर, तुमको इससे क्या
तुमने तो थक के दश्त में ख़ेमे लगा लिए
तन्हा कटे किसी का सफ़र, तुमको इससे क्या ।
अब्र-ए-ग़ुरेज़-पा=भागते हुए बादल; उदू=दुश्मन; सिपर=ढाल; दश्त=जंगल